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Virodh Pradarshan: औद्योगिक क्षेत्र घोषित होने से तरारी के किसानो में रोष, विरोध प्रदर्शन कर कहा- उपजाऊ ज़मीन को बंजर बताया गया

Virodh Pradarshan: जिले के तरारी प्रखंड क्षेत्र में नए औद्योगिक क्षेत्र बनाने की सरकारी घोषणा का विरोध होने लगा है। प्रस्तावित औद्योगिक क्षेत्र के खिलाफ किसानों ने मंगलवार को पटखौली गांव में बैठक किया और सरकार के निर्णय के विरुद्ध प्रदर्शन किया। किसान संघर्ष समिति के तत्वावधान में आयोजित बैठक में पटखौली, बसौरी, मानिकपुर, रन्नी और बेलडीहरी गांव के किसान शामिल हुए। बैठक में दर्जनों रैयतों ने औद्योगिक क्षेत्र के लिए उपजाऊ भूमि के अधिग्रहण का विरोध किया। बैठक में किसान योगेंद्र मिश्रा, सुरेश सिंह, सुरेंद्र सिंह, विनोद राम, धनंजय प्रधान, राजू राम, जयप्रकाश राम, अजय सिंह, भोला तिवारी सहित अन्य लोगो ने कहा कि यहां की जमीन बेहद उपजाऊ है। इसे बंजर बताकर अधिग्रहित करना किसानों के साथ अन्याय है।

प्रस्तावित क्षेत्र में लगभग 40 एकड़ जमीन आवासीय है। कुछ किसानों ने चिंता जताई कि इस परियोजना से 50 से ज्यादा लोग भूमिहीन हो जाएंगे। समाजसेवी कुमार बादल ने कहा कि सरकार ने ना मिट्टी की जांच कराई और ना किसानों से सहमति लेना आवश्यक समझा। उपजाऊ भूमि को बंजर घोषित करना निर्धारित मानकों का उल्लंघन है। किसानों ने आशंका जताई कि औद्योगिक क्षेत्र बनने से लगभग 400 एकड़ जमीन की सिंचाई बाधित हो जाएगी।किसानों ने कहा कि दीघा और बिहिया में औद्योगिक क्षेत्र के नाम पर वहां के किसानों का जमीन हड़प लिया गया। जिस उद्देश्य से वहां जमीन अधिग्रहण हुआ था, उसके अनुरूप वहां उद्योग-धंधे स्थापित नही हुए। तरारी में भी वैसी ही स्थिति होगी और लोग भूमिहीन हो जाएंगे।

जहां धान की भरपूर खेती, वहां दिखा दिया बंजरा पैक्स अध्यक्ष अनिल सिंह ने कहा कि तरारी प्रखंड में सबसे अधिक धान की खरीदारी बसौरी पंचायत से होती है। यही भूमि सरकार बंजर घोषित कर रही है। जगदीशपुर में 6 सितम्बर को मुख्यमंत्री आने वाले हैं। जहां सभी किसान मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी पीड़ा को उनके सामने रखेंगे। बसौरी पंचायत की मुखिया शांति देवी ने आरोप लगाया कि गरीबों के हक की जमीन सरकार जबरन छीन रही है। उन्होंने कहा कि जिस मौजा की जमीन ली जा रही है, वहां पहले से पंचायत भवन निर्माणाधीन है। जिससे पंचायत के कार्यों में भी कठिनाई होगी। बैठक में किसानों ने औद्योगिक क्षेत्र के लिए वैकल्पिक जमीन उपलब्ध कराने की मांग किया साथ ही अगर सरकार किसानों की बात नही मानती है तो आंदोलन तेज किया जाएगा और न्यायालय के शरण मे जाने का भी निर्णय लिया गया।

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