फटाफट

Urdu Programme: उर्दू कोषांग ने कराया जिला फरोग-ए-उर्दू कार्यशाला, मुशायरा सह कवि सम्मेलन का भी आयोजन

Urdu Programme: आरा के नागरी प्रचारिणी सभागार में जिला प्रशासन के उर्दू कोषांग द्वारा जिला फरोग-ए-उर्दू कार्यशाला, सेमिनार और मुशायरा सह कवि सम्मेलन हुआ। उद्घाटन एवं जिला उर्दू नामक पुस्तक का विमोचन डीडीसी डॉ. अनुपमा सिंह ने किया। इस दौरान डीआरडीए के डायरेक्टर मनोरंजन कुमार, डिप्टी डायरेक्टर दिव्यांग नीतीश कुमार और उर्दू विभाग की नोडल अधिकारी आसमा खातून मौजूद रहीं। कार्यक्रम में दो दर्जन से ज्यादा मशहूर शायरों ने अपनी शायरी से श्रोताओं का दिल जीता। वक्ताओं ने कहा कि उर्दू सिर्फ भाषा नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति की मिठास का एक रंग है। इसकी अपनी अलग पहचान है। हर रचनाकार को अपनी भाषा से स्वाभाविक प्रेम होता है।

शायरों ने अपनी शायरी में उर्दू प्रेम का इजहार किया और इसकी खूबियों का जिक्र किया। मो. गुलाम रसूल ने कहा कि पूरे देश को यह संदेश दिया जा रहा कि दहेज एक सामाजिक बुराई है। मुसलमानों को इससे दूर रहना चाहिए। दहेज की दुनिया में जगह नहीं है। ना आखिरत में। दहेज लेने वालों को अल्लाह से डरना चाहिए। निगार आरा ने पढ़ा, यारो मेरे मुल्क की पहचान है उर्दू…। सफी अनवर ने कहा कि उर्दू इस दुनिया की सीधी जुबान है। यह जीने, रहने और सहने का तरीका सिखाती है। मंच संचालन शायर सह कवि शंकर कैमूरी और सहायक उर्दू अनुवादक सैयद वसीम असरफ ने किया। धन्यवाद ज्ञापन उर्दू कोषांग की नोडल अधिकारी आसमा खातून ने किया। इस मौके पर जीशान भागलपुरी, नौशाद आलम, डॉ. कफील अनवर, इसरार आलम सैफी, सुल्तान मुजफ्फर आजाद, फातमा जबी, मो. आलम और मुसर्रफ जहां ने भी अपनी नज्में पेश की।

उर्दू सबके दिलों में बसने वाली जुबान शंकर कैमूरी ने शायराना अंदाज में कहा, गजल भारत की शान, यह मेरा हिंदुस्तान, के उर्दू बोल रहा है। आसमा खातून ने कहा कि उर्दू बहुत प्यारी जुबान है। यह दिलों को जोड़ती है। उर्दू सबके दिलों में बसने वाली जुबान है। उर्दू और हिंदी सगी बहनें हैं। शायर डॉ. मो. शाहनवाज आलम ने पढ़ा अगर है जिंदा जमीर तेरा, तो फिर नफ्स का असीर क्यों है। निजाम अख्तर ने गजल पढ़ते हुए कहा शेरो-सुखन का आरा दबिस्तान है निजाम, मुद्दत से इस शहर का पुख्ता मकान है। फैजान अली ने नज्म पढ़ी मोहब्बत के तराने गा रहा हूं, मैं शायरों में अपना नाम लिखवा रहा हूं।