Trade union protest: जिला मुख्यालय पर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, सेवा संगठनों और एआईसीटीयू के आह्वान पर मंगलवार को एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया। यह कार्यक्रम उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के खिलाफ था।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्रों को निजी कंपनियों को बेच रही है। आठवें वेतन आयोग का गठन नहीं हुआ। पुरानी पेंशन योजना की जगह नई पेंशन योजना लागू कर दी गई है। धरना स्थल से जुलूस निकाला गया जो जेपी स्मारक से होते हुए स्टेशन परिसर में सभा में तब्दील हो गया। धरना की अध्यक्षता बाल मुकुंद चौधरी ने की। धरना के अंत में 17 सूत्री मांग पत्र जिलाधिकारी को सौंपा गया।
जिला सचिव सुमन ने कहा कि मुख्य मांगों में चारों श्रम कोड रद्द करना, निजीकरण और निगमीकरण पर रोक लगाना, राष्ट्रीय संपत्ति और बुनियादी ढांचे की बिक्री पर रोक लगाना शामिल है। स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर योजना रद्द की जाए। न्यूनतम मासिक मजदूरी 41 हजार रुपये और पेंशन 15 हजार रुपये की जाए। मौजूदा श्रम कानूनों को लागू किया जाए। वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार के 11 साल के शासन में मजदूरों की हालत बदतर हो गई है। बेरोजगारी, महंगाई और बदहाली बढ़ी है। मजदूरी घटी है। सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा खत्म हो गई है। कॉरपोरेट कंपनियां मजदूरों से 70 से 90 घंटे काम करवाना चाहती हैं। ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के नाम पर देश की संपत्ति लूटी जा रही है।
अन्य वक्ताओं ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम की उपलब्धियों को खत्म किया जा रहा है। संविधान, अधिकार, कल्याणकारी राज्य और सुरक्षित नौकरियों को खत्म कर दिया गया है। चार श्रम कोड लाकर मजदूरों को गुलाम बनाने की तैयारी है। इन कोड से काम के घंटे, न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा जैसे अधिकार छिन जाएंगे। हायर एंड फायर नीति लागू होगी। यूनियन बनाने, सामूहिक सौदेबाजी और हड़ताल का अधिकार खत्म हो जाएगा। तीन नए आपराधिक कानून और यूएपीए, पीएमएलए जैसे कानूनों से मजदूरों की सामूहिक कार्रवाई को अपराध बनाया जा रहा है। वक्ताओं ने कहा कि तीन आपराधिक कोड और चार श्रम कोड का संयोजन मजदूरों के लिए विनाशकारी होगा।

