Rakshabandhan: रक्षाबंधन विशेष:
“रक्षाबंधन” अपने नाम से ही स्पष्ट करता है कि यह त्यौहार रक्षार्थ संकल्प का है। जो भाई- बहन के प्रेम का प्रतीक भी है।
आज भाई-बहन के आपसी प्रेम और विश्वास का पर्व रक्षाबंधन है। सावन महीने की पूर्णिमा तिथि पर राखी का त्योहार मनाया जाता है। यह दिन भाई-बहनों के प्रेम, रिश्ते, विश्वास और उनकी ताकत को समर्पित है। इस दिन सभी बहनें अपने भाई की तरक्की और सुखी जीवन की कामना करते हुए उसे राखी बांधती हैं। इस दौरान भाई भी बहन के प्रेम-सम्मान को स्वीकार करते हुए उसे जीवन भर रक्षा का वचन देता है। यह दिन रिश्तों सहित घर-परिवार और समाज में भी खुशियों की लहर लेकर आता है।
पुराने समय में रक्षाबंधन के दिन एक ब्राह्मण हर घर जाकर रक्षा सूत्र बाँधा करता था — न सिर्फ भाइयों को, बल्कि परिवार के हर सदस्य को। यह सूत्र इस बात का प्रतीक होता था कि हम जीवन में सद्गुणों और धर्म के रास्ते पर चलने का संकल्प लें। समय के साथ समाज बदला, परंपराएँ सरल होती गईं और यह पावन सूत्र धीरे-धीरे सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित रह गया।
रक्षाबंधन न केवल भारत का मुख्य पर्व है बल्कि कई अन्य देशों में भी इसकी खास रौनक देखने को मिलती हैं। इस वर्ष 9 अगस्त 2025 को रक्षाबंधन मनाया जा रहा है। ऐसे में इस दिन भद्रा, राहुकाल और राखी बांधने का शुभ समय क्या होगा। क्या कहते है आचार्य संतोष पाठक:
पंचांग के मुताबिक इस साल श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर शुरू हो जा रही है। यह तिथि 9 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार गणना होती है, इसलिए 9 अगस्त 2025, शनिवार को रक्षाबंधन माना जाएगा।
रक्षाबंधन का शुभ समय प्रातः 5:28 से प्रातः8:00 बजे तक है। उसके बाद 8:00 बजे से दिन में 10:30 तक राहुकाल रहेगा, इसमें रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए।
पुनः 10:30 से दिन में 1:23 तक का मुहूर्त बहुत बढ़िया है।
दोपहर में 1:23 से भाद्रपद मास प्रारंभ हो जाएगा। इसमें भी रक्षाबंधन होगा उदया तिथि के अनुसार दिन में 3:29 तक भी शुभ समय है।
लेकिन, इसके बाद रक्षाबंधन उचित नहीं होगा। क्योंकि 3:29 से पंचक (पचखा )प्रारंभ हो रहा है। पंचक में किसी भी प्रकार का बंधन नहीं बांधा जाता है। इससे हमें बचना चाहिए। हालाँकि, विशेष परिस्थितियों में यह मान्य नहीं होगा।
राखी बांधते समय इस मंत्र का करें जाप
“येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥”
अर्थ- जिस पवित्र सूत्र से महान दानवीर राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षा सूत्र से मैं तुम्हें बांध रही हूँ। हे रक्षा सूत्र! तुम स्थिर रहो, कभी ढीले या विचलित न हो।

