Site icon Ara Live

Padma Award 2025: मरणोपरांत लोक गायिका शारदा सिन्हा को पद्मविभूषण, पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी को पद्म भूषण व पूर्व आईपीएस आचार्य किशोर कुणाल को पद्मश्री पुरस्कार

Padma Award 2025: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति ने बिहार की लोक गायिका स्वर्गीय शारदा सिन्हा को मरणोपरांत पद्मविभूषण और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम स्वर्गीय सुशील मोदी को पद्म भूषण पुरस्कार देने का ऐलान किया है। पूर्व आईपीएस और समाजसेवी रहे आचार्य किशोर कुणाल को भी मरणोपरांत पद्मश्री पुरस्कार देने का ऐलान हुआ है।

अपनी मधुर आवाज से अमर हो चुकी भोजपुरी की शान स्वर्गीय शारदा सिन्हा ने भोजपुरी और मैथिली संगीत को नई पहचान दिलाई थी। कुछ दिनों पहले हुई उनकी मृत्यु ने समूचे बिहार की आँखें नम कर दी थी। बिहार के प्रसिद्ध छठ पूजा की एक पहचान शारदा सिन्हा के गीत भी रहे है। उन्हें ये सम्मान मिलना सभी के लिए गर्व की बात है।

शारदा सिन्हा को पहले ही पद्म भूषण से किया गया था सम्मानित

मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का 5 नवंबर 2024 की रात निधन हो गया था। वह 72 साल की थीं। पद्म भूषण से सम्मानित 72 वर्षीय शारदा सिन्हा मैथिली और भोजपुरी गानों के लिए जानी जाती हैं। उनके चर्चित गानों में ‘विवाह गीत’ और ‘छठ गीत’ शामिल हैं। उन्होंने 1980 में ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन से अपना करियर शुरू किया और जल्द ही अपनी दमदार आवाज और भावनात्मक प्रस्तुति के लिए मशहूर हो गईं।

शारदा सिन्हा ने अपनी मधुर आवाज से न केवल भोजपुरी और मैथिली संगीत को नई पहचान दिलाई, बल्कि बॉलीवुड में भी अपनी अद्वितीय गायकी का जलवा बिखेरा। उनकी आवाज में सलमान खान की फिल्म “मैंने प्यार किया” का गाना “कहे तो से सजना” बेहद लोकप्रिय हुआ। इसके अलावा, उन्होंने “गैंग्स ऑफ वासेपुर पार्ट 2” और “चारफुटिया छोकरे” जैसी फिल्मों में भी गाने गाए, जिन्हें दर्शकों ने खूब सराहा। लोक गायिका शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में हुआ था. बचपन से ही संगीत में गहरी रुचि रखने वाली शारदा ने अपनी मेहनत और संगीत के प्रति जुनून से खेतों से लेकर बड़े मंचों तक का लंबा सफर तय किया। शारदा सिन्हा विशेष रूप से छठ पूजा के गीतों के लिए प्रसिद्ध हैं और उन्होंने भारतीय संगीत में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

बिहार के चर्चित नेता रहे सुशील मोदी

सुशील कुमार मोदी बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री होने के साथ-साथ बिहार के वित्त मंत्री भी रहे। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य थे। वह 1973 में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव बने। सुशील कुमार मोदी 1974 में बिहार प्रदेश छात्र संघर्ष समिति के सदस्य बने और 1974 के प्रसिद्ध बिहार छात्र आंदोलन का नेतृत्व किया। जेपी आंदोलन और आपातकाल के दौरान सुशील कुमार मोदी को पांच बार गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मीसा अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी, जिसके परिणामस्वरूप मीसा को असंवैधानिक करार दिया गया। आपातकाल के बाद उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (AVBP) का राज्य सचिव नियुक्त किया गया. सुशील कुमार मोदी 1977 से 1986 तक ABVP में विभिन्न नेतृत्व पदों पर कार्य किया।

बिहार भाजपा के दिग्गज नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का 13 मई 2024 को दिल्ली में निधन हो गया था। वह कैंसर से पीड़ित थे। नीतीश कुमार जब 2005 में बिहार के सीएम बने तब सुशील मोदी इनके डिप्टी बने। दोनों की जोड़ी ने बिहार में विकास की क्रांति लाई।

कई सामाजिक- धार्मिक कार्यों के प्रणेता रहे है आचार्य किशोर कुणाल

पटना के महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल की पहचान समाज, संस्कृति और आध्यात्म के प्रति समर्पित योद्धा के तौर पर रही। पटना में महावीर मंदिर निर्माण, महावीर कैंसर अस्पताल जैसे अनेक कार्यों के वे प्रणेता रहे। किशोर कुणाल का जीवन न केवल एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में बल्कि एक धार्मिक प्रचारक और समाज सुधारक के रूप में भी प्रभावशाली रहा। एक प्रख्यात धार्मिक और सामाजिक व्यक्तित्व के तौर पर आचार्य किशोर कुणाल ने भारतीय समाज में अपने कार्यों से महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे महावीर मंदिर न्यास के सचिव के रूप में कार्यरत थे और इसके माध्यम से उन्होंने धार्मिक गतिविधियों और समाज सेवा में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा वे राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य भी थे, जहां उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए अपने योगदान और समर्थन से धार्मिक समुदाय को प्रेरित किया।

Exit mobile version