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Kavitai Sammelan: राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त की जयंती पर आयोजित हुआ कविताई सम्मेलन, कवि-कवयित्रियों ने सुनाई एक से बढ़कर एक रचनाएँ

Kavitai Sammelan: साहित्यिक संस्था “कविताई- नवसृजन की धारा” के बैनर तले राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त एवं कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जन्म जयंती पर शाहपुर के हरिनारायण प्लस टू उच्च विद्यालय सभागार में कविताई सम्मेलन सह परिचर्चा का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत परम्परागत तरीक़े से दीप प्रज्वलित कर व माँ सरस्वती को पुष्प अर्पित कर हुई। इसके बाद विद्यालय की छात्राओं ने संगीत शिक्षक अनिल पांडेय के नेतृत्व में स्वागत गीत प्रस्तुत कर सभी आगत अतिथियों का स्वागत किया। विद्यालय के प्रधानाचार्य विष्णुशंकर सिंह ने अभिनंदन करते हुए कहा कि कविताई संस्था ने इस साहित्यिक आयोजन के लिए शाहपुर स्थित हमारे विद्यालय में हो रहा, यह हम सबके लिए गर्व की बात है। शिक्षा और साहित्य दोनो लेखनी के साधक हैं। यह कार्यक्रम हम सबके लिए प्रेरक होगा। सभी सहित्यप्रेमी व काव्यनुरागियों का यहाँ हार्दिक स्वागत है।

दो सत्रों में हुए इस कार्यक्रम के प्रथम सत्र में मुंशी प्रेमचंद का साहित्य में योगदान और मैथिली शरण गुप्त की जीवनी व उनकी काव्य रचनाओं पर चर्चा हुई।

विषय प्रवेश कराते हुए कविताई की अध्यक्षा शिक्षाविद व कवयित्री मधुलिका सिन्हा ने साहित्य में प्रेमचंद के योगदान को अतुलनीय बताया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण परिवेश व जीवन का जो चित्रण मुंशी प्रेमचंद ने किया है, वह समसामयिक है। हर कोई उनकी कहानियों को पढ़कर चित्रण कर लेता है।

कविताई संस्था के प्रयास से कविता चली गाँव की ओर- कवि जनार्दन मिश्र

प्रगतिशील लेखक संघ, भोजपुर के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि जनार्दन मिश्र ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गुप्त जी ने अपनी दर्जनों रचनाओं में जीवन को सार्थक किया है। प्रेमचंद को याद करते हुए उन्होंने कहा कि कथा सम्राट ने हमेशा गाँव को तरजीह दी है, ऐसे में इस आयोजन के लिए कविताई संस्था ने शाहपुर को चुना। हम कह सकते है कि कविताई के प्रयास से कविता चली को गाँव की ओर। 

सृजनलोक के सम्पादक वरिष्ठ कवि संतोष श्रेयांश ने कहा कि मैथिलीशरण गुप्त की रचनाओं का आज़ादी की लड़ाई में बड़ा योगदान रहा है। उनकी रचना भारत-भारती ने स्वतंत्रता में सबको जागृत किया था, तभी महात्मा गांधी ने उन्हें राष्ट्रकवि की उपाधि दी थी।

संस्था के उपाध्यक्ष, समाजसेवी व पूर्व निगम पार्षद डॉ जीतेन्द्र शुक्ल ने कहा कि मैथिलीशरण गुप्त या मुंशी प्रेमचंद को पढ़कर अपने आचरण में उतारना ही सार्थकता है। आज शहरी परिवेश में भी यदि गाँव को समझना हो तो प्रेमचंद को पढ़िए। इस देश की आज़ादी में भी कई साहित्यकारों का अनमोल योगदान है। उन्हें शब्दों में बांधना कठिन है।

ज्ञानदीप पब्लिक स्कूल के निदेशक रोहित कुमार राय ने कहा कि हमलोग उनकी कहानियों को पढ़कर बड़े हुए है। उनकी कहानियाँ यथार्थ को दर्शाती हैं। 

शिक्षाविद विद्यासागर दूबे ने काव्य को शिक्षा से जोड़ते हुए कहा कि साहित्य व कविताएँ समाज को दिशा देने का कार्य करती है। 

कार्यक्रम में पर्यावरणप्रेमी रमेश कुमार सुदामा ने पर्यावरण जागरूकता का संदेश देते हुए सभी का अभिनंदन पौधों से किया। उन्होंने कहा कि यह पौधे हमारी समृद्धि के प्रतीक हैं। हमें ज़्यादा से ज़्यादा पौधरोपण कर भविष्य को बचाना है।

खूब सज़ा कविताई का मंच, तालियों से गूँजता रहा सभागार 

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कविताई सम्मेलन का मंच सजा। कविताई सम्मेलन में आमंत्रित कवियों के साथ ही स्थानीय कवि- कवयित्रियों ने भी अपनी प्रस्तुति दी। कविताई संस्था ने हमेशा की तरह इस आयोजन में भी नवोदित कवियों को मंच दिया। सभी कवि- कवयित्रियों ने श्रोताओं को खूब झूमाया और वाह- वाही बटोरी। पूरे काव्य सत्र के दौरान सभागार तालियों से गूंजता रहा।

काव्य पाठ करने वालों में वरिष्ठ कवि जनार्दन मिश्र, वरिष्ठ कवि संतोष श्रेयांश, कवयित्री मधुलिका सिन्हा, डॉ जीतेन्द्र शुक्ल, राकेश गुड्डु ओझा, जन्मेजय ओझा मंजर, संजय कुमार पांडेय, आशीष उपाध्याय, रूपेन्द्र मिश्र, जयमंगल मिश्र, दीपक सिंह निकुम्भ, प्रतिमा मिश्रा, रमेश कुमार सुदामा, अमरनाथ मिश्रा, रेयाज वारिश खान, पाठक आशीष विलोम व निहाल मिश्रा रहे। 

इस अवसर पर संस्था की ओर से सभी अतिथियों का सम्मान अंग वस्त्र देकर एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया। 

साथ हीं, सभी कवि- कवयित्रीयों को पौधे देकर अभिनंदन किया गया। 

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कार्यक्रम के संयोजक संजय कुमार पांडेय ने कहा कि शाहपुर में इस कार्यक्रम का आयोजन कई मायनो में ख़ास है। यह उर्वर धरती है। सफल आयोजन के लिए उन्होंने कविताई संस्था और विद्यालय के प्रति आभार व्यक्त किया।  कोषाध्यक्ष आशीष उपाध्याय ने सभी अतिथियों व श्रोताओं को धन्यवाद दिया।

कार्यक्रम में प्रथम सत्र का संचालन पत्रकार रूपेन्द्र मिश्र एवं द्वितीय सत्र का संचालन सचिव राकेश गुड्डु ओझा ने किया। 

कार्यक्रम में डीएवी स्कूल के निदेशक भरत कुमार सिन्हा, ज्ञानदीप स्कूल के निदेशक रोहित कुमार रॉय, ज्ञानस्थली स्कूल के निदेशक विनोद कुमार तिवारी, बृजकिशोर पांडेय, विद्यासागर दूबे, पप्पू ओझा, शान्तनु पांडेय, हीरालाल गुप्ता, विपिन बिहारी मालाकार, डॉ हरेंद्र ओझा, कृष्णा यादव कृष्णनेंदु, ई राहुल कुमार, बबली पांडेय, क्षितिज पांडेय, राजेश कुमार, मो रियाजद्दीन, नागेंद्र सिंह समेत कई लोग थे। 

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