Kavitai Sammelan: साहित्य और काव्य से सृजित संस्था “कविताई- नवसृजन की धारा” के तत्वावधान में आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्म जयंती और हिंदी पखवारा के अवसर पर पूर्व निगम पार्षद डॉ जीतेन्द्र शुक्ल के आवास स्वर्ण कुंज प्रांगण में कविताई सम्मेलन किया गया। आयोजन के मुख्य अतिथि पूर्व ज़िलाधिकारी ब्रह्मेशवर दसौंधी, प्रो बलिराज ठाकुर व धीरेंद्र सिंह रहे। विशिष्ट अतिथि जगजीवन कॉलेज हिंदी विभाग के प्रो अमरेश कुमार, वरिष्ठ कवि जनार्दन मिश्र एवं निर्मल सिंह रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए हुई। जिसके बाद संस्था के सचिव राकेश ओझा एवं अश्विनी पांडेय के द्वारा सरस्वती वंदना कर काव्य मंच का शुभारंभ किया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता संस्था की अध्यक्षा मधुलिका सिन्हा ने किया। स्वागत सम्बोधन करते हुए उन्होंने कहा कि सितंबर माह को साहित्य का माह कहा जाता है। इस महीने में हिंदी दिवस होने के साथ ही कई साहित्य सेवियों का जन्म हुआ है। काव्य जगत के सितारे रामधारी सिंह दिनकर की जयंती भी इसी माह की 23 तारीख़ को है। ऐसे में इस माह का ये आयोजन हम साहित्यप्रेमियों के लिए ख़ास हो जाता है।
पूर्व ज़िलाधिकारी ब्रह्मेशवर दसौंधी ने कहा कि आरा की धरती हमेशा से साहित्य के लिए उर्वर रही है। आज युवा पीढ़ी को साहित्य की सेवा में लगा देख कर बहुत ख़ुशी हो रही है। सबने अच्छी रचनाएँ सुनाईं।
प्रो बलिराज ठाकुर ने कहा कि साहित्य भी समाज का दर्पण है और दिनकर ने आधुनिक युग के श्रेष्ठ कवि हुए। वीर रस में वे जब कविताओं की प्रस्तुति करते थे, जो जनजागरण व देशप्रेम की भावना उमड़ पड़ती थी। आज भी उनकी कविताएँ जोश भर देती हैं।
धीरेंद्र सिंह ने कहा कि मै तो कवि नहीं हूँ। पर, यहाँ के माहौल ने मुझे कवि बना दिया। नवोदित कवियों ने मुझमें जोश भर दिया। मैंने अपने आंदोलन से हीं कविता निकाल ली और उसको आप सबके समक्ष प्रस्तुत किया।
जगजीवन कॉलेज हिंदी विभाग के प्रो अमरेश कुमार ने हिंदी दिवस और हिंदी की संवैधानिक मान्यता पर प्रकाश डालते डाला तथा साहित्य में भारतेंदु युग से लेकर दिनकर के साहित्य तक की बातें सभी को बताई। निर्मल सिंह ने कहा कि यहाँ एक से बढ़कर एक क़लमकार हैं। नए लोग भी बहुत अच्छी रचनाएँ कर रहे। अच्छा लगता है जब नई पीढ़ी को इस ओर देखता हूँ।
सभागार में गूंजती रहीं दिनकर की पंक्तियाँ- “कलम आज उनकी जय बोल”
कवि सम्मेलन में आरा, शाहपुर, बक्सर क्षेत्र से आए लगभग 30 कवियों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की। संस्था के संरक्षक हरेंद्र सिंह ने बताया कि हमारी संस्था हमेशा नवोदित रचनाकारों को मंच देती है। हमलोगों का प्रयास होता है कि नए क़लमकार जो कविताएँ लिख रहे है, उन्हें सामने लाया जाए।
वरिष्ठ कवि पंडित जनार्दन मिश्र ने अपनी रचना मेरा इश्क़ है धुआँ- धुआँ, कवियित्री मधुलिका सिन्हा ने हिंदी साहित्यकारों को समेटती कविता सुनाई।सृजनलोक के संपादक वरिष्ठ कवि संतोष श्रेयांश ने अपनी रचनाएँ दिनकर को समर्पित की। तो वहीं, ओम प्रकाश मिश्र ने हिंदी के महत्व को दर्शाती कविताएँ सुनाई।
डॉ जीतेन्द्र शुक्ल ने आगामी चुनाव को लेकर नेता बहुरूपिया है कविता सुनाई, तो राकेश गुड्डु ओझा ने भी चुनाव आधारित कविता कुर्ता बक्सा से निकाल अब चुनाव आ गइल प्रस्तुत किया। धीरेंद्र सिंह ने संघे शक्ति कलियुगे, सुमन सिंह ने हिंदी भाषा, आशीष उपाध्याय ने रश्क आँखों के क्या ख़ूब छिपा रहे हो, अजय ओझा ने मै नारी हूँ, सुनील सुगंध ने हम तो दरिया है समंदर तक जाएँगे, विकास पांडेय ने हफ़्ते में एक सोमवार छः रविवार और कवियित्री पूनम पांडेय ने रौशनदान पर नए बिम्ब को दर्शाया तो पप्पू सिंह ने हास्य कविता सुनाई। बिहियाँ से आए दीपक सिंह निकुम्भ ने बाढ़ की व्यथा को शब्दों में दर्शाया, जयमंगल मिश्र ने प्रेम पर आधारित कविता पढ़ी। कवियित्री शालिनी ओझा ने नवरात्रि के ध्यानार्थ नवदुर्गा की कविता, जनमेजय ओझा मंजर ने सस्वर हिंदी और भोजपुरी कविता पाठ किया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए पत्रकार रूपेन्द्र मिश्र ने रामधारी सिंह दिनकर की कविता कलम आज उनकी जय बोल का सस्वर पाठ करते हुए सबको वीर रस से विभोर कर दिया। साथ हीं, उन्होंने सामाजिक भेदभाव पर आधारित अपनी रचना ‘जाने मै किसके हिस्से में’ सुनाई।
कार्यक्रम में सत्यनारायण उपाध्याय, अधिवक्ता गुंजय कुमार, कृष्णा यादव कृष्णेंदु, मनोज ओझा, विमल तिवारी, अजीत भट्ट, चंदन कुमार, राजकुमार, मनीष राज, अशोक तिवारी, मनोज सिंह, सोनू सिंह, सुशील सिंह, अभय उपाध्याय, प्रेम शंकर पाठक, सुरेश कुमार मिश्र व अन्य कई लोग थे।

