Kavi Sammelan: वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, हिंदी विभाग का सभागार शनिवार को एक से बढ़कर एक काव्य पाठों का गवाह बना। वक्त था प्रगतिशील लेखक संघ(प्रलेस) के भोजपुर इकाई के गठन एवं ज़िला सम्मेलन का। इस अवसर पर भव्य काव्य गोष्ठी भी आयोजित की गई। आयोजन की अध्यक्षता बिहार प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव रवींद्र नाथ राय, जनवादी लेखक संघ (जलेस) के राज्याध्यक्ष प्रो नीरज सिंह व जन संस्कृति मंच (जसम) के राज्याध्यक्ष जितेंद्र कुमार एवं वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो मृत्युंजय कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से की। मुख्य अतिथि राम तवक्या सिंह, भोजपुर हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो बलिराज ठाकुर एवं भोजपुरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो दिवाकर पांडेय रहे।
कवि जनार्दन मिश्र बने अध्यक्ष, नवनीत राय सचिव
प्रगतिशील लेखक संघ(प्रलेस) ने शनिवार को भोजपुर ज़िला इकाई को नयापन देते हुए नई कमिटी की घोषणा की। नाम प्रस्तावित करते हुए बिहार प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव रवींद्र नाथ राय ने अध्यक्ष के रूप में कवि जनार्दन मिश्र का नाम आगे किया, जिसे सभी ने सर्व सम्मति से पारित किया। कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष की ज़िम्मेवारी रविंद्र नाथ राय सम्भालेंगे। वहीं, उपाध्यक्ष ओम् प्रकाश मिश्र, सचिव हिंदी विभाग के नवनीत राय एवं सह सचिव जैन कॉलेज हिंदी विभाग की प्राध्यापिका डॉ सुमन कुमारी होंगी। नई गठित कार्यकारिणी में हिंदी विभागाध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह, अयोध्या प्रसाद उपाध्याय, सृजनलोक के सम्पादक संतोष श्रेयांश, वरिष्ठ शिक्षिका व विचारक मधुलिका सिन्हा, समाजसेवी डॉ जीतेन्द्र शुक्ल, कवि व विचारक राकेश ओझा, पत्रकार रूपेन्द्र मिश्र, लेखक आशीष उपाध्याय, कवयित्री ममतादीप एवं शिक्षक जीवन प्रकाश शामिल हैं।
सभागार ने ज़ोरदार तालियों से सभी चयनित पदाधिकारियों का अभिनंदन व समर्थन किया। प्रो नीरज सिंह ने बधाई देते हुए कहा कि हम सभी साहित्य के साधक है। जो जहां है, वहाँ से सेवा दे, यही लक्ष्य होना चाहिए। जीतेन्द्र कुमार ने बधाई देते हुए कहा कि यह सुखद है कि यहाँ सभी साहित्य को आगे बढ़ाने के लिए लगे है। साहित्य सम्मेलन आरा के अध्यक्ष बलिराज ठाकुर ने नई कमिटी का अभिवादन करते हुए कहा कि नई पीढ़ी साहित्य को हम सबके संरक्षण में आगे लेकर जा रही है, इससे अच्छा क्या होगा।
आयोजन में काव्य पाठ ने सबको किया मंत्रमुग्ध
आयोजन की शुरुआत काव्य गोष्ठी के साथ हुई, जहां मंच से तीस कवियों ने कविता पाठ कर कभी वीर रस से श्रोताओं के देश प्रेम को जगाया, तो कभी श्रृंगार रस में काव्य पाठ कर प्रेम में डुबाया, किसी ने नए बिंब और आयाम दिखाए, तो कुछ कवियों ने देश के बड़े वर्ग की पीड़ा दिखाई।
“जन गण मन अधिनायक झूठे, भारत भाग्य विधायक झूठे, भारत माता सबकी माता, झूम के गाते गायक झूठे” प्रो डॉक्टर नीरज सिंह की यह समसामयिक कविता देश के हालातों को प्रस्तुत करती है। श्रोताओं ने तालियों से सराहना करते हुए इस बात का प्रमाण दिया। देश के उन्ही हालातों पर तेज कटाक्ष करते हुए भोजपुरी विभाग के विभागाध्यक्ष दिवाकर पांडेय ने भी अपनी कविता ‘कह दो वन्दे मातरम सुनाई’। इस क्रम को बढ़ाते हुए वरिष्ठ साहित्यकार राम तवक्या सिंह ने गीत प्रस्तुति करते हुए ‘हमरा के लोगवा कहेला गाड़ीवान हो’ प्रस्तुत किया। हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष मृत्युंजय सिंह ने ‘ यहाँ कुछ भी नहीं है शाश्वत, ना मै ना ईश्वर ना तुम’ प्रस्तुत किया। कवि जनार्दन मिश्र ने फ़रवरी के प्रेम माह का ज़िक्र करते हुए ‘यह मेरा गुलाब तुम्हारे नाम है प्रिये’ कविता प्रस्तुत की। रवींद्र नाथ राय ने ‘यमदूत मुझे ढूँढ रहे है’, जीतेन्द्र कुमार ने ‘वह आ रहा है’, संतोष श्रेयांश ने ‘जिन्होंने जाना नहीं मुझे मेरे नाम से’, जगत नंदन सहाय ने ‘ मेरे रक्त से निकलता हर कतरा’ किसानो को समर्पित कविता का पाठ किया। काव्य पाठ करते हुए अयोध्या प्रसाद उपाध्याय ने आज़ाद भारत की झांकी, डॉ शीलभद्र ने तू है दरिया दूसरा रास्ता तैयार कर, ममतादीप ने आधुनिक ज़माना में हमारा इश्क़ पुराना है, सिद्धार्थ वल्लभ ने अब रातों से छीन लिया गया है अंधेरा और चुटीले अंदाज़ में हिंदी के प्रो निलांबुज ने ‘कवि सम्मेलन के श्रोता’ कविता सुना लोगों को हंसाया।
कविताओं में दिखी मध्यम वर्ग की पीड़ा
इसे आगे बढ़ाते हुए मधुलिका सिन्हा ने गंभीर विषय पर ‘हम शिक्षक है शिक्षा से तस्वीर बदल देंगे’ डॉ जीतेन्द्र शुक्ल ने ’कहाँ रह गया मेरे देश का विकास’ कविता सुनाई। देश के निचले गरीब तबके को इंगित करते हुए राकेश ओझा ने अपनी कविता सुनाते हुए कहा कि ‘बस्तियों से निकलता धुआँ मुझे जानता है, मैं भूख हूँ मेरी तासीर बखूबी पहचानता है’। वहीं, रूपेन्द्र मिश्र ने कविता ‘मै मिडल क्लास हूँ साहब, स्वाभिमान से जीता हूँ, दुनिया देखे तो हँसता रहता खुद में आंसू पीता हूँ’, सुनाकर हर मध्यमवर्गीय परिवारों की व्यथा को दिखाया। सभी श्रोताओं ने इन कविताओं से अपना जुड़ाव महसूस किया।
डॉ रेणु मिश्रा ने लगता है बसंत आने वाला है, सुमन कुमार ने सबने बसंत की प्रतीक्षा की, सिद्धनाथ सागर ने सिद्धार्थ को बुद्ध बनाती बेटियाँ, अरविंद जी ने तीनो बंदर साथ लिए कैसा गांधी घूम रहा, कृष्ण कुमार ने लईका- लईकी में कौनो फ़र्क़ होखे त बताई, अकेला ने सबको पेंशन दे दो भाई, सौरव कुमार ने भ्रष्टाचार पर प्रहार करती कविता ‘बाहर शराब बंद है, अंदर व्यापार चल रहा है’ प्रस्तुत की, तो नवोदित कवयित्री निकिता ने प्रकृति के सुंदरता को दर्शाती कविता वसुंधरा सुनाई। हर कवि- कवियित्री के काव्य पाठ के दौरान सभागार तालियों से गुंजायमान रहा।
श्रोताओं ने कहा- साहित्य से ही व्यवस्था परिवर्तन सम्भव
सुधी श्रोताओं में उपस्थित रंगकर्मी कृष्णेंदु जी ने कहा कि यह आरा की धरती है, जहां साहित्य हमेशा जीवित रहेगा। इस धरती ने एक से बढ़कर एक साहित्यकार और कलाकार दिए है। इस अवसर पर जनसुराज की महिला अध्यक्ष डॉ पद्मा ओझा ने कहा कि देश की हर व्यवस्था पर साहित्यकारों की पैनी नज़र रहती है। साहित्य जगत ने हमेशा सरकारों को बेहिचक हो निडरता से सही आईना दिखाया है। व्यवस्था परिवर्तन इन्हीं से सम्भव है। उन्होंने नई कार्यकारिणी को बधाई देते हुए कहा कि मै आपके आयोजनो में साथ रहूँगी। भोजपुरिया जनमोर्चा के अध्यक्ष भरत सिंह सहयोगी ने कहा की मै कवियों से सीखता हूँ, मै प्रहरी हूँ।
कार्यक्रम का संचालन जनार्दन मिश्र एवं धन्यवाद ज्ञापन नवनीत राय ने किया। इस दौरान सभागार में हिंदी विभाग के छात्र आनंद कुमार, संदीप, सौरव समेत सैकड़ों श्रोताओं की उपस्थिति रही।

