JagJiwan College: जगजीवन कॉलेज के संस्कृत विभाग में विशिष्ट व्याख्यान, स्टार्टअप सम्मान समारोह और रूसा द्वारा निर्मित ग्रंथागार-सह-वर्ग कक्ष का उद्घाटन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ कॉलेज परिसर में बाबू जगजीवन राम की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुआ। इसके बाद कुलपति प्रो. डॉ. शैलेंद्र कुमार चतुर्वेदी ने नारियल फोड़कर और फीता काटकर नए भवन का उद्घाटन किया। संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित व्याख्यान का विषय था “भारतीय ज्ञान परंपरा: क्रिया योग” था। मुख्य वक्ता श्री कामाख्या नारायण प्रसाद ने योग के स्वरूप और विस्तार पर सरल और प्रभावी व्याख्यान दिया।
अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. डॉ. आभा सिंह ने की। उन्होंने अपने वक्तव्य में आधुनिक जीवन में क्रिया योग की महत्ता बताई। कहा, इसकी परंपरा 19वीं शताब्दी में महावतार बाबाजी से शुरू हुई थी। स्नातकोत्तर संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. श्री प्रकाश राय ने योग के विभिन्न भेदों पर चर्चा की।
आयोजन में विश्वविद्यालय के प्राकृतिक विभागाध्यक्ष डॉ. दूधनाथ चौधरी, दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष किस्मत कुमार सिंह, प्रो. अवध बिहारी सिंह, डॉ. धीरेंद्र कुमार सिंह, डॉ. भारत भूषण पांडे, पद्मश्री डॉ. भीम सिंह भवेश, पत्रकार राणा अमरेश कुमार, डॉ. सुधांशु कुमार, इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. राजीव नयन, डॉ. शहाबुद्दीन, प्रो. सिंधु कुमारी, प्रो. चंदन कुमार, जूली कुमारी, प्रो. धर्मेंद्र कुमार शर्मा, प्रो. अमृतलाल जायसवाल, डॉ. नवारुण घोष, डॉ. असलम परवेज, डॉ. शहजाद अख्तर अंसारी, डॉ. संजय कुमार चौबे, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. अंकिता मिश्रा सहित शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मचारी और बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद रहे।
मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. डॉ. शैलेंद्र कुमार चतुर्वेदी ने श्रीमद्भगवद्गीता का उल्लेख करते हुए कहा, ज्ञानयोग और कर्मयोग दोनों जरूरी हैं। ज्ञानयोगी समाज से कट जाता है, जबकि कर्मयोगी समाज में रहकर लक्ष्य प्राप्त करता है और मार्गदर्शन करता है। कार्यक्रम के अंत में कॉलेज के स्टार्टअप सेल द्वारा चयनित छह स्टार्टअप्स को कुलपति ने सम्मानित किया। मंच संचालन संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र पांडे ने किया। धन्यवाद ज्ञापन मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने दिया।

