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Good News for Farmers: ड्रोन से खेत में कीटनाशक छिड़काव पर सरकार देगी 50% अनुदान, आम और अमरूद के लिए 75%

Good News for Farmers: राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत किसानों को ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव के लिए अनुदान दिया जा रहा है। यह योजना बिहार सरकार किसानों की आमदनी और फल उत्पादन बढ़ाने के लिए दे रही है। पौधा संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक सीमा कुमारी ने बताया कि भोजपुर जिले में ड्रोन से तरल उर्वरक, कीटनाशी, फफूंदनाशी और खर-पतवार नाशक का छिड़काव 240 रुपये प्रति एकड़ की दर से किया जा रहा है। इसमें 50% अनुदान दिया जा रहा है। एक किसान अधिकतम 10 एकड़ तक ड्रोन से छिड़काव करवा सकता है। कृषि विभाग के पोर्टल पर आवेदन कर किसान इस योजना का लाभ ले सकते हैं। जिले में अब तक 250 एकड़ खेत में ड्रोन से छिड़काव हो चुका है। अभी 250 एकड़ खेत के लिए डीबीटी पोर्टल पर आवेदन आए हैं। आम और अमरूद पर पहले छिड़काव का लक्ष्य पूरा हो गया है। दूसरे छिड़काव के लिए किसान डीबीटी पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं, जिस पर उन्हें अनुदान मिलेगा।

आम और अमरूद के पेड़ों पर मंजर आने से पहले और बाद में कीटनाशक छिड़काव करने पर किसानों को 75% अनुदान मिलेगा। बाकी 25% खर्च किसानों को खुद उठाना होगा। छिड़काव दो चरणों में किया जाएगा। भोजपुर जिले में पहले चरण के लिए आम के 1400 और अमरूद के 600 पेड़ों पर पहला छिड़काव हो चुका है।

पहले चरण के लिए अब कोई अनुदान नहीं मिलेगा। दूसरे चरण में छिड़काव करवाने वाले सभी किसानों को अनुदान मिलेगा। पौध संरक्षण विभाग की सहायक निदेशक सीमा कुमारी ने बताया कि फरवरी के अंतिम सप्ताह में तापमान बढ़ने से पछुआ का असर तेज होता है। इससे बचाव के लिए छिड़काव जरूरी है। कीट नियंत्रण न होने पर पौधों की पत्तियां काली पड़ने लगती हैं। जिससे फलन क्षमता प्रभावित होती है। इस योजना का लाभ लेने के लिए कृषि विभाग के डीबीटी पोर्टल पर निबंधन और ऑनलाइन आवेदन अनिवार्य है।

आम के लिए ₹ 76 रुपये की लागत में ₹ 58 रुपये अनुदान पौध संरक्षण विभाग के अनुसार आम के पेड़ों पर पहला छिड़काव मंजर लगने पर करना होता है।‌दूसरा छिड़काव मंजर के मटर के आकार का होने पर करना होगा। इसमें प्रति वृक्ष 96 रुपये की लागत आएगी, जिसमें 72 रुपये अनुदान मिलेगा। एक किसान अधिकतम 118 पौधों पर इस योजना का लाभ ले सकता है। अमरूद के पेड़ों पर पहला छिड़काव कीट लगने की स्थिति में किया जाता है। दूसरा छिड़काव तब होगा, जब अमरूद पर रोग लगने की स्थिति बनेगी।