DR Bhagwati Sharan Mishra Punyatithi: मूर्धन्य साहित्यकार डॉ भगवती शरण मिश्र की चौथी पुण्यतिथि के अवसर पर भईल बिहान संस्था के तत्वावधान में “स्मृति तर्पण महोत्सव” आयोजित किया गया। कार्यक्रम का विषय “डॉक्टर भगवती शरण मिश्र की साहित्य साधना का संपूर्ण विवेचन” था। कार्यक्रम की अध्यक्षता संजय गांधी महाविद्यालय के अध्यक्ष हरेकृष्ण उपाध्याय ने किया। मुख्य अतिथि बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ, विशिष्ट अतिथि हिंदी साहित्य सम्मेलन के साहित्य मंत्री डॉ भगवती प्रसाद द्विवेदी रहे। मुख्य वक्ता अरविंद महिला कॉलेज, पटना के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ शिवनारायण जी एवं रांची विश्विद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ जंग बहादुर पाण्डेय रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत सभी अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। जिसके बाद सभी ने डॉ भगवती शरण मिश्र की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर आयोजक व स्वागताध्यक्ष वरिष्ठ कवि डॉ जनार्दन मिश्र ने सभी आगत अतिथियों को माला पहना कर एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।
उद्घाटनकर्ता डॉ अनिल सुलभ ने कहा कि डॉ भगवती शरण मिश्र जी का व्यक्तित्व हर वर्ग को बहुत प्रोत्साहित करने वाला था। प्रशासनिक अधिकारी होते हुए भी उन्होंने साहित्य के साथ अपना गहरा जुड़ाव रखा। विशिष्ट अतिथि डॉ भगवती प्रसाद द्विवेदी ने उनके जीवन वृत्त की चर्चा करते हुए उनकी रचनाओं का जिक्र किया।
विषय प्रवेश कराते हुए डॉ जंग बहादुर पाण्डेय ने कहा कि मिश्र जी अर्थशास्त्र के व्याख्याता रहे, फिर प्रशासनिक सेवा में आए और फिर साहित्य की सेवा में लग गए। उनकी साहित्य साधना ने हमें कई प्रकाशित पुस्तकें दी।
मिश्र जी की रचनाओं ने नवजागृति की- डॉ शिवनारायण
मुख्य वक्ता डॉ शिवनारायण ने कहा कि मैंने उनके सानिध्य में कई पल बिताए हैं। उनका जीवन संघर्षों में गुजरा। उन्हें यह शहर बहुत प्रिय था। उनकी रचनाओं ने नवजागृति की। उनके सानिध्य में बिताए हर पल में मैं कुछ सीखता रहा। प्रोफेसर बलिराज ठाकुर ने कहा कि लेखनी का साधक अमर हो जाता है। उनकी लिखी पुस्तकें हम सब पढ़ना चाहते हैं। डॉ सत्यनारायण उपाध्याय ने कहा कि यह आयोजन उन्हें श्रद्धांजलि देने के साथ हीं साहित्य की सेवा में लगे सभी को प्रेरित करने के लिए भी है।
वरिष्ठ कवि जनार्दन मिश्र ने बताया कि पिताजी का कृतित्व हम सभी के लिए आशीर्वाद है। मैंने भी उनके गुणों को आत्मसात कर लिखना शुरू किया था। जीवन में जो भी पाया, वह उनका आशीर्वाद है। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रोफेसर नंदजी दूबे ने कहा कि हर वक्ता के लिए श्रोता पूज्य होते हैं। वही हमें उत्साहित करते हैं। उन्होंने सभी आगत अतिथियों को कार्यक्रम में आने व सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया।
इस बीच विशेष उपस्थिति के तहत् आए युवा गज़लकार एवं अंगिका फिल्म अभिनेता अविनाश बंधु ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर सबको आनंदित किया। इस अवसर पर कवयित्री डॉ रेणु मिश्र, डॉ ममता मिश्र, कवि जनमेजय ओझा, मधेश्वर पांडे, जयमंगल मिश्र एवं दीपक सिंह निकुंभ ने भी अपनी रचनाएं सुनाई।
कार्यक्रम का संचालन कवि राकेश गुड्डू ओझा एवं पत्रकार रूपेंद्र मिश्र ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में आयोजक द्वय से मधु मिश्र ने महत्ती भूमिका निभाई। कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि ओमप्रकाश मिश्र, नथुनी पाण्डेय, कृष्णा यादव कृष्णेंदु, पूनम सिंह, संजय गांधी की प्राचार्या कुमारी वंदना, कंचन कामिनी, शालिनी ओझा, सुधा पांडे, मनोज ओझा, अजय कुमार, भरत सिंह सहयोगी, नरेंद्र सिंह, खुशी कुमारी समेत कई लोग उपस्थित रहे।


 
			 
			 
			 
			