ज़िला निबंधन पदाधिकारी तारकेश्वर प्रसाद ने जनता से अपील करते हुए कहा की किसी भी ज़मीन की ख़रीद-बिक्री में सावधानी रखें। सभी काग़ज़ातों की जाँच करवा ले। जमाबंदी, खतियान, प्रतिबंधित सूची, ज़मीन का प्रकार ज़रूर जाँच लें। व्यावसायिक, आवासीय या सिंचित, जो भी भूमि का प्रकार हो उसके अनुसार ईमानदारी से काग़ज़ात तैयार कराएँ। जाँच के लिए कार्यालय से लोग जाते है, फ़ोटो होता है। निबंधन कार्यालय में आकर या ऑनलाइन भी जानकारी ले सकते है।
District Registrar Bhojpur: भोजपुर के ज़िला निबंधन कार्यालय में आजकल लम्बी लाइनें और परेशान चेहरे अमूमन कम हीं नज़र आते है। ऐसा नहीं है कि निबंधन की संख्या में कोई कमी आई हो। पहले की अपेक्षा यह कार्यालय आज भी चालान के मामले में अव्वल सूची में रहता है। भीड़ ना दिखने का सबसे बड़ा कारण है कि निबंधन के लिए आए लोग अब बेतरतीब खड़े नहीं होते। अनावश्यक लोगों को नहीं रुकने दिया जाता। सबको क्रम संख्या मुहैया कर दिया जाता है। क्रम संख्या के अनुसार पुकार होने पर बस उक्त रजिस्ट्री से जुड़े क्रेता, विक्रेता, गवाह एवं पहचानकर्ता हीं निबंधन पदाधिकारी के समक्ष उपस्थित होते है। ज़िला निबंधन कार्यालय का यह अनुशासन क़ायम हो पाया वर्तमान ज़िला निबंधन पदाधिकारी तारकेश्वर पाण्डेय के प्रयास से। रजिस्ट्री कराने आए लोगों की संतुष्टि इस बात की तस्दीक़ करती है।
ज़िला निबंधन पदाधिकारी तारकेश्वर पाण्डेय से हुई बातचीत के कुछ अंश:
बातचीत करते हुए निबंधन पदाधिकारी तारकेश्वर पाण्डेय ने बताया कि जो लोग चालान के माध्यम से विभाग व सरकार को सम्बल दे रहे है, उन्हें सुविधा तो मिलनी हीं चाहिए। उनके बैठने की समुचित व्यवस्था, पेयजल, जीविका के माध्यम से खाने का काउंटर उपलब्ध है। यथासंभव कम समय में बिना परेशानी लोगों का काम हो जाए, यही प्राथमिकता रहती है। भीड़भाड़ होती थी, उसे थोड़ा अनुशासित कर दिया गया। अब सभी को सुलभ लगता है। सुविधाएँ अभी बढ़ेंगी, अभी निर्माण का काम चल रहा।
कई बार ग़लत रजिस्ट्री हो जाने और उससे लोगों को होनेवाली परेशानी के सवाल पर निबंधन पदाधिकारी ने कहा कि जागरूकता ज़रूरी है। लोगों को ज़मीन लेने से पहले जाँच पड़ताल करनी चाहिए। उस ज़मीन की जमाबंदी है या नहीं। किसके नाम से जमाबंदी क़ायम है। सरकारी भूमि या प्रतिबंधित सूची की भूमि ना हो। यहाँ आकर भी पता कर सकते है। उन्होंने कहा कि आज के समय में ऑनलाइन भी बहुत सुविधाएँ उपलब्ध है। निबंधन का अपना पोर्टल है। इ निबंधन एप्लिकेशन भी है। लोगों को जल्दबाज़ी ना करते हुए सही से जाँच लेना चाहिए। खतियान से भी देखना चाहिए। यदि रैयत भूमि है, तो जिससे ख़रीदारी कर रहे उसके हिस्से की उचित जाँच और अन्य दावेदारों से पूछताछ कर लेनी चाहिए।
रजिस्ट्री के बाद अंचल कार्यालय में दाखिल- ख़ारिज के लिए होने वाली परेशानी को सवाल पर उन्होंने बताया कि अब तो वहाँ भी ऑनलाइन काम होता है। हालाँकि, रजिस्ट्री के बाद स्वतः म्यूटेशन के लिए चले जाने की प्रक्रिया निबंधन कार्यालय में शुरू हुई थी, जिसे सुओ- मोटो कहा जाता है। पर अभी कई ज़मीनों की जमाबंदी नहीं हुई है। फ़िलहाल ऐसी कुछ परेशानियों से इसपर रोक लगी है। आगे चलकर यह फिर लागू हो जाएगी, तो लोगों को दो विभाग में नहीं जाना पड़ेगा। रजिस्ट्री के बाद स्वतः आपके काग़ज़ात सुओ-मोटो के माध्यम से म्यूटेशन के लिए चले जाएँगे। सरकार तो हमेशा जनता के लिए सुलभ व्यवस्था चाहेगी।
पेपरलेस रजिस्ट्री कब शुरू होगी के जवाब में निबंधन पदाधिकारी ने कहा कि कुछ तकनीकी कारणों से तिथि बधाई गई है। जल्द ही दस कार्यालयों में इसका ट्रायल होने वाला है। इसमें एक भोजपुर ज़िला निबंधन कार्यालय भी होगा।
लोगों ने कहा- अब परेशानी नहीं होती
रजिस्ट्री के लिए आए मदन जी का हाता निवासी अभिषेक ने बताया कि पहले तो बैठने की जगह नहीं थी। रजिस्ट्री के काम से निकलो तो पूरा दिन लग जाता था। अब परेशानी नहीं लगती। नंबर से बुलाया गया, झटपट काम हो गया।
कृष्णा नगर से आई प्रिया देवी ने बताया कि मै पहले भी कई बार आई हूँ। बहुत दिक्कत था। उँगली के निशान और फ़ोटो के लिए भी लम्बी लाइन होती थी। अब तो बड़ा हॉल है, लोगों बैठे है। बस नाम पुकारने पर जाइए और काम हो जा रहा। रजिस्ट्रार साहब के पासस भी भीड़ होता था, पैसे की बात बताने पर डर भी लगता था कोई बाहरी ना सुने। आज तो जब मै गई तो बस हम ही चार लोग थे। बाक़ी सब अपनी बारी के लिए बाहर बैठे थे। नियम से काम हो तो अच्छा लगता है।
फ़ौज में नौकरी करने वाले धर्मेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मै छुट्टी लेकर एक रजिस्ट्री के लिए आया था। पहले से काफ़ी बदला हुआ है सब। आराम से काम हुआ। सर का व्यवहार बहुत अच्छा है। अच्छे से पूछते है और किसी बाहरी को नहीं आने देते। नाम पुकार पर सिर्फ़ वे लोग आते है, जिनका काम है। ये अनुशासन है। हमलोग फ़ौजी है, अनुशासन को समझते है।

