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CYBER CRIME: तेज़ी से बढ़ रही हैं DIGITAL ARREST की घटनाएँ, आप भी रहें सावधान, फ़ोन कॉल पर किसी धोखेबाज़ के झाँसे में ना आएँ

जैसे-जैसे तकनीक विकसित हुई है, वैसे ही इसका दुरुपयोग करने वाले भी पनपते गए। इंटरनेट  ने लोगों को बहुत प्रकार की सुविधाएँ दी हैं। पर, इसका दुरुपयोग कर अपराध जगत ने नए प्रकार की चोरी ‘साइबर क्राइम’ (Cyber crime) को जन्म दे दिया। देश के साथ साथ बिहार में भी इसकी घटनायें बहुत तेज़ी से बढ़ रही है।

बिहार में भी साइबर क्राइम का एक नया रूप, डिजिटल अरेस्ट(digital arrest) की घटनाएँ लगातार सामने आ रही है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी डिजिटल अरेस्ट की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जाहिर की है तथा लोगों से सतर्क रहने को कहा है। बढ़ती घटनाओं को देखते हुए बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने आम लोगों को सचेत किया है।

सरकारी एजेंसी वाट्सएप के माध्यम से सम्पर्क नहीं करती

EOU ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कोई भी सरकारी एजेंसी आधिकारिक संचार के लिए वाट्सएप, स्काइप या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग नहीं करती है। पहचान पत्र, FIR की कॉपी या गिरफ्तारी वारंट ऑनलाइन साझा नहीं किया जाता है। अगर किसी भी व्यक्ति को ऐसे कॉल्स आते हैं तो घबराएं नहीं बल्कि पहले सूचनाओं का सत्यापन करें और संदेहास्पद लगने पर तत्काल हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल कर सूचित करें। साथ हीं यथाशीघ्र अपने नजदीकी थाना या साइबर थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराएँ।

क्या आपको पता है? क्या है डिजिटल अरेस्ट?

साइबर क्राइम(cyber crime) के इस रूप यानी डिजिटल अरेस्ट(digital arrest) के मामलों में अपराधी खुद को पुलिस, सीबीआई, आयकर अधिकारी, सीमा शुल्क एजेंट जैसे किसी सरकारी कर्मी के रूप में पेश करते हैं। फोन कॉल के माध्यम से पीड़ितों से संपर्क करके, उनको पैसों के फ्रॉड मामलों में, टैक्स चोरी या अन्य कानूनी उल्लंघनों का हवाला देते हुए डिजिटल वारंट का डर दिखाते है। गिरफ्तारी की भी धमकी देते हैं। धोखेबाज पीड़ितों को विश्वास दिलाने के लिए  पुलिस स्टेशन जैसा सेटअप तैयार करके रखते हैं। वे लोगों को व्हाट्सएप, स्काइप जैसे प्लेटफॉर्म से वीडियो कॉल कर उन्हें ग़लत साबित करते है तथा उनकी गिरफ़्तारी व जेल जाने की बात कहते है। कई मामलों में निकट संबंधियों की जान पर खतरा भी बताते हैं। जाल में फँस चुके लोगों को इससे बचने का तरीक़ा बताते हुए यू पी आई या नेट बैंकिंग जैसे पेमेंट माध्यम से किसी खाते में बड़ी रकम भेजने का दबाव बनाते हैं। जब व्यक्ति उनके जाल में फँस कर भुगतान कर देते हैं, तो अपराधी गायब हो जाते हैं।

सही जानकारी ही बचाव है, आप भी सतर्क रहें

  • स्पष्ट रूप से जान ले की सरकारी एजेंसियां आधिकारिक संचार के लिए व्हाट्सएप, स्काइप या अन्य किसी एप अथवा सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग नहीं करती हैं।
  • पुलिस, सीबीआई, आरबीआई, बैंक या अन्य सरकारी एजेंसियां आपसे भुगतान या बैंकिंग डिटेल नहीं मांगती। ऐसे कॉल या मैसेज का कोई जवाब नहीं दें।
  • पुलिस अधिकारी द्वारा कभी भी वॉयस या वीडियो कॉल पर बयान दर्ज नहीं किया जाता है।
  • पुलिस द्वारा कॉल करने के दौरान अन्य लोगों से बातचीत करने से रोका या डराया-धमकाया नहीं जाता है।
  • साइबर अपराधियों द्वारा अपनाई गई ‘दबाव की रणनीति’ के आगे न झुकें। ऐसे कॉल आने पर घबराएं नहीं, शांत रह कर शिकायत दर्ज कराएँ।
  • किसी भी अनजान नंबर से आने वाले कॉल या मैसेज का तुरंत जवाब न दें। संदेह होने पर संबंधित एजेंसी से सीधे संपर्क कर पहचान सत्यापित करें।
  • व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें और कभी भी फोन या वीडियो कॉल पर संवेदनशील व्यक्तिगत या वित्तीय विवरण न बताएं।

बन गए शिकार तो क्या करें

  • सबसे पहले अपने बैंक को रिपोर्ट करके अपना खाता फ्रीज कराएं। ATM CARD को ब्लॉक कराएँ।
  • राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (cybercrime.gov.in) या टॉल फ्री नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराएँ। नज़दीकी थाना या साइबर थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराएँ।
  • कॉल डिटेल, लेन-देन डिटेल, मैसेज आदि साक्ष्यों को सहेज कर रखें।

खूब हुई है ऐसे ठगी, 10 करोड़ से ऊपर का आँकड़ा


EOU के डीआइजी मानवजीत सिंह ढिल्लो ने बताया कि हाल के महीनों में डिजिटल अरेस्ट से संबंधित साइबर फ्रॉड के मामले अप्रत्याशित रूप से बढ़े हैं। अबतक डिजिटल अरेस्ट से संबंधित 300 शिकायतें नेशनल क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल से मिली हैं, जिनमें करीब 10 करोड़ की राशि की ठगी दर्ज की गयी है। समय पर सूचना मिलने पर करीब 1.5 करोड़ रुपये होल्ड भी कराया गया। उन्होंने बताया कि इस संबंध में जागरूकता को लेकर सभी जिलों के साइबर थानों एवं अन्य संस्थानों से समन्वय बना कर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
ध्यान रहे, जानकारी और सतर्कता हीं बचाव है।