फटाफट

Campaign for Kalazar patients: घर- घर जाकर कालाजार मरीजों की खोज शुरू, लक्षण मिलने पर प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को दी जा रही जानकारी

Campaign for Kalazar patients: जिले में कालाजार उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग सक्रिय है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यालय ने प्रभावित गांवों में घर-घर जाकर कालाजार के मरीजों की खोज शुरू कर दी है। यह अभियान 15 जून तक चलेगा। हर दिन इसकी निगरानी की जाएगी। सदर प्रखंड के दो, बिहिया और जगदीशपुर प्रखंड के एक-एक गांव में यह अभियान चल रहा है। बिहिया के मोतीरामपुर, जगदीशपुर प्रखंड के सियारुंवा, आरा प्रखंड के जमीरा और आरा शहरी के धरहरा गांव में आशा घर-घर जाकर लोगों में कालाजार के लक्षणों की जांच कर रही हैं। लक्षण मिलने पर रिपोर्ट संबंधित जानकारी प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को दी जा रही है। जरूरत पड़ने पर स्वास्थ्य टीम मरीज के घर जाकर जांच कर रही है। पुष्टि होने पर इलाज शुरू किया जा रहा है। वीबीडीसीओ अजीत कुमार पटेल ने बताया कि कालाजार उन्मूलन में पीकेडीएल बड़ी बाधा है। इसमें एलडी बॉडी नामक परजीवी त्वचा की कोशिकाओं को संक्रमित करता है। इससे त्वचा पर घाव बनते हैं। मरीज को बार-बार बुखार आता है। भूख कम लगती है। वजन घटता है। थकान रहती है। पेट फूलने लगता है। ठीक होने के बाद भी शरीर पर चकत्ते या दाग रह जाते हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत अस्पताल जाकर जांच करानी चाहिए।

सावधानी जरूरी, दोबारा भी हो सकता है कालाजार : डॉ संजय प्रभारी जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी सह जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. संजय कुमार सिन्हा ने बताया कि कालाजार उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में होने वाला एनटीडी रोग है। यह 20 प्रमुख उष्णकटिबंधीय बीमारियों में शामिल है। इससे कमजोरी आती है। कई बार मौत भी हो जाती है। उन्होंने बताया कि ठीक हो चुके मरीज दोबारा भी इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। ऐसे मरीजों को त्वचा संबंधी लीश्मेनियेसिस यानी पीकेडीएल हो सकता है। इसका इलाज संभव है। इसके लिए 12 सप्ताह तक लगातार दवा लेनी होती है। इलाज पूरा करने पर मरीज को सरकार की ओर से 4000 रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जाती है।