फटाफट

Mahadharna: बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए अतिक्रमण हटाने के नाम पर उजाड़ने के ख़िलाफ़ सैकड़ों की संख्या में किन्नर और ग्रामीण महिलाओं ने दिया महाधरना

Mahadharna: वैकल्पिक व्यवस्था न होने तक घरों और झुग्गियों को नहीं उजाड़े जाने, सभी गरीब परिवारों को 5 डिसमिल जमीन और पक्का मकान देने के साथ कोईलवर सहित भोजपुर के तमाम ट्रांसजेंडर का वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने की माँगो के साथ सैकड़ों की संख्या में किन्नर और ग्रामीण महिलाएं शुक्रवार को जिला समाहरणालय के पास एक दिवसीय महाधरना का आयोजन दिया।

भोजपुर जिले के कोईवलर प्रखंड के सैकड़ों परिवारों की वैकल्पिक व्यवस्था किए बगैर अतिक्रमण हटाने के खिलाफ भाकपा माले और खेग्रामस के बैनर तले  यह महाधरना आयोजित हुआ। जिसका नेतृत्व पूर्व विधायक मनोज मंजिल ने किया।

धरने पर बैठी मंजू किन्नर ने बताया कि किन्नर समाज के लोग कोईलवर रेलवे की जमीन पर अपनी कमाई से घर बनाकर 40 वर्षों से रहते है। प्रशासन ने आदेश दिया है कि अपना-अपना घर खाली कर दो। अगर घर खाली कर देंगे तो हमलोग कहां जाएंगे।

हमारे पास ना तो जमीन है ना ही घर है। हम लोग चाहते है कि सरकार हमलोगों का दूसरी जगह जमीन देकर घर बना दें। जबतक सुविधा नहीं मिलती है तो हमलोगों को घर से बेघर नहीं करें। अगर प्रशासन घर तोड़ने के लिए बुलडोजर लेकर आएगा तो पहले मेरी जान जाएगी उसके बाद ही हमारा घर टूटेगा। जान दे देंगे लेकिन घर टूटने नहीं देंगे यह हमारी चेतावनी है।

किन्नरों ने कहा- नहीं मिलती कोई सरकारी सुविधा

प्रिया किन्नर ने बताया कि हमलोगों के घर को तोड़ने का आदेश आया है। जब तक रहने की कोई व्यवस्था सरकार नहीं करती है, तब तक हम लोग आंदोलन करेंगे। किन्नरों को घर, वोटर लिस्ट में नाम, आधार कार्ड, राशन में नाम होना चाहिए। हमें कोई सरकारी सुविधा आसानी से नहीं मिलती।

किन्नरों को पीएम आवास तक नहीं दिया जाता है। समाज से दूर रखा जाता है। अगर जेसीबी घर तोड़ने के लिए आता है तो सभी किन्नर अपनी जान देंगे। सरकार हमलोगों नजरअंदाज कर चलती है। हमलोग दुख-सुख में खड़े रहते हैं।

लोगों की खुशियों में नाचते है, आशीर्वाद देते है। इसके बाद भी समाज में हमलोग के लिए जगह नहीं है। सरकार दावे करती है, लेकिन धरातल पर आकर खत्म हो जाती है। हमलोग कहा जाए, बस सरकार ये बता दे। पूरा जिंदगी की कमाई घर बनाने में लगा दिए है। अब वो टूटने के कगार पर है। सरकार से मांग है कि वो हमें रहने की सुविधा पहले दे दें। उसके बाद ही घर तोड़ का काम करें।

मनोज मंजिल ने कहा, “कोईलवर में जो लोग रह रहे हैं, वे खेतिहर मजदूर हैं, कोई ट्रेन में चना बेचता है तो कोई सड़क किनारे पंचर बनाकर परिवार पालता है। इन लोगों ने अपनी जीवन की सारी पूंजी झोपड़ी बनाने में लगा दी है। कोई टीन की छत है, कहीं त्रिपाल है, कहीं खपड़ा डाल कर आशियाना बना रखा है। पिछले 40 साल से अधिक समय से 500 से ज्यादा परिवार यहां रह रहे हैं, लेकिन आज सरकार बुलडोजर लेकर खड़ी है।”