Crime News Ara: उदवंतनगर थाना क्षेत्र के बेलाउर गांव में दो लाख के इनामी बूटन चौधरी के घर से पुलिस की टीम ने एके-47 और 2 हैंड ग्रेनेड बरामद किया है। मौके से बूटन चौधरी के बड़े भाई उपेंद्र चौधरी को गिरफ्तार किया गया है। बूटन चौधरी अभी भी फरार है।
भोजपुर पुलिस और STF की टीम ने संयुक्त रूप से सोमवार को ईनामी अपराधी बूटन चौधरी की गिरफ़्तारी के लिए पहुँची। पर, बूटन चौधरी फ़रार हो गया था। उसका भाई उपेन्द्र चौधरी गिरफ़्तार हो गया। गिरफ़्तार हुए उपेंद्र चौधरी की पत्नी उर्मिला देवी बेलाउर पंचायत की मुखिया हैं।
मामले की जानकारी देते हुए पुलिस अधीक्षक राज ने बताया कि रविवार की रात बेलाउर गांव निवासी इनामी बूटन चौधरी के घर से एके 47 राइफल और बम होने की सूचना मिली। उस आधार पर एसटीएफ और उदवंतनगर थाने की टीम ने छापेमारी की। इस दौरान उसके घर से एक एके 47 राइफल, एके 47 की 43 गोली लोड दो मैगजीन, दो हैंड ग्रेनेड और इंसास राइफल के दो मैगजीन और कुछ नक़द बरामद हुआ।
दो लाख का ईनामी है बूटन चौधरी, रहा है आपराधिक इतिहास
इस मामले में बूटन चौधरी और उपेंद्र चौधरी के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गयी है। बूटन चौधरी व उसके भाई उपेंद्र चौधरी का आपराधिक इतिहास रहा है। दोनों पर पांच-छह केस हैं। बूटन बेलाउर पंचायत के बीडीसी सदस्य की हत्या में तीन माह पहले जेल से बाहर आया था।
एसपी ने बताया कि राइफल के नंबर के आधार पर अन्य एजेंसियों के माध्यम से एके 47 राइफल की जांच की जा रही है। बूटन चौधरी के गैंग और सभी कनेक्शन को भी खंगाला जा रहा है। छापेमारी में उदवंतनगर थानाध्यक्ष राम कल्याण यादव सहित थाने के अन्य अधिकारी और जवान शामिल थे।
गिरफ्तार उपेंद्र चौधरी का पूर्व आपराधिक इतिहास रहा है। उस पर पूर्व में आधा दर्जन गंभीर कांड दर्ज हैं। प्रतिबंधित हथियार बरामद के मामले में वांटेड बूटन चौधरी के अलावे उसके दोनों भाइयों को नामजद किया जा रहा है। इसके बारे में जानकारी एकत्रित की जारी है तथा बाहरी एजेंसियों की मदद ली जा रही है।
बूटन और रंजीत की है पुरानी अदावत
बेलाउर निवासी को कुख्यात बूटन चौधरी ने वर्चस्व की लड़ाई से अपराध की दुनिया में कदम रखा था. पुलिस सूत्रों के अनुसार बूटन चौधरी और रंजीत चौधरी में करीब डेढ दशक पूर्व काफी घनिष्ठता है. बाद में दोनों के बीच ऐसा तनाव पैदा हुआ कि दोनों एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन बन गये. यहां तक की एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गये. नवंबर, 2013 में बूटन चौधरी पर गोलियों से हमले हुए, फिर 2 दिसंबर, 2013 में बेलाउर पंचायत की मुखिया चंपा देवी की रस्सी से गला घोंटकर हत्या किये जाने के मामले में रंजीत चौधरी समेत उसके भाई को आरोपित बनाया गया था. बूटन चौधरी ने साल 2011 के पंचायत चुनाव में अपनी नौकर की पत्नी चंपा देवी को मुखिया से चुनाव लड़ाया था और जीत भी दर्ज की थी. तीन मई, 2016 को रंजीत चौधरी के बड़े भाई हेमंत चौधरी को चुनाव प्रचार के दौरान गोलियों से भून कर हत्या कर दी गयी थी. हेमंत चौधरी अपने छोटे भाई की पत्नी जो मुखिया पद की उम्मीदवार थीं, उसी के वोट के सिलसिले में निकले थे. इसी कड़ी में 20 जुलाई, 2016 को उसके बड़े बेटे मनीष राय को गोलियों से भून डाला गया था. सात जुलाई, 2017 को उदवंतनगर थाना क्षेत्र के बेलाउर बंगला के समीप बस से खींचकर वार्ड पार्षद के पति की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. इस घटना में गड़हनी थाना क्षेत्र के पोसवां गांव निवासी सुदेश्वर रवानी का 30 वर्षीय पुत्र परमात्मा रवानी आरा से गांव जा रहा था. परमात्मा की पत्नी रजनी देवी पोसवां पंचायत की वार्ड सदस्य थी. बूटन चौधरी के परिवार से उसके करीबी रिश्ते थे. इसके बाद 21 सितंबर 2017 को बेलाउर गांव से जीजा की बाइक लेकर जमुआंव गांव जा रहे निकले स्व. जितेंद्र चौधरी के इकलौते बेटे को गोलियों से भून दिया गया. 24 मार्च, 2021 को आरा के नवादा थाना क्षेत्र के पकड़ी-सर्किट हाउस रोड पर कुख्यात बूटन चौधरी के भतीजा दीपू चौधरी की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. वह आरा कोर्ट में पेशी के लिए भागलपुर केंद्रीय कारा से आये अपने चाचा बूटन चौधरी से मिलने के लिए आया हुआ था. साथ में उसका साथी अजय चौधरी उर्फ गुड्डू चौधरी भी था. दोनों मिलकर बाइक से घर लौट रहे थे. तभी पर की पकड़ी-सर्किट हाउस रोड में दौड़ाकर गोली मार दी गई. इन घटना में किसी का सुहाग उजड़ गया, तो किसी की गोद सुनी हो गयी.


 
			 
			 
			 
			