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Jain Siddhant Bhavan and Oriental Libarary: जैन सिद्धांत भवन सह ओरिएंटल लाइब्रेरी को बिहार सरकार ने दिया विशिष्ट लाइब्रेरी का दर्जा

Jain Siddhant Bhavan and Oriental Libarary:  आरा शहर के जेल रोड में स्थापित जैन सिद्धांत भवन सह ओरिएंटल लाइब्रेरी को बिहार सरकार ने विशिष्ट लाइब्रेरी का दर्जा दिया है। यह पुस्तकालय 121 वर्ष पुराना है। अब इसके संवर्धन और संरक्षण के लिए बिहार सरकार का सहयोग मिलेगा। इस लाइब्रेरी में 12 वीं शताब्दी के ताड़पत्र ग्रंथ, मुगलकालीन चित्र, बहुमूल्य पांडुलिपियां और दुर्लभ ग्रंथों का बड़ा संग्रह है। इसकी स्थापना 1903 में देव कुमार जैन ने की थी। लाइब्रेरी के संयुक्त सचिव प्रशांत कुमार जैन ने बताया कि इस लाइब्रेरी में महात्मा गांधी, पंडित मदन मोहन मालवीय, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, रामधारी सिंह “दिनकर”, विनोबा भावे, रवींद्रनाथ टैगोर, डॉ. हरमन जैकब, सर आशुतोष मुखर्जी, , सर मिर्जा इस्माइल, डॉ. अमरनाथ झा, आचार्य बदरीनाथ वर्मा, मुनि कांति सागर वर्मा, सुचेता कृपलानी, डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, डॉ. अनुग्रह नारायण सिंह, बाबू शिवपूजन सहाय, डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा जैसे देश-विदेश के कई विद्वानों का पदार्पण हो चुका है। बौद्ध, संस्कृत, पाली, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, कन्नड़, हिंदी, बांग्ला एवं उर्दू गुजराती समेत कई भाषाओं की मुद्रित और हस्तलिखित दुर्लभ किताबें यहां हैं। लाइब्रेरी में हस्तलिखित 2500 ताड़पत्र, 7500 दुर्लभ पांडुलिपि एवं 25000 करनालिया ग्रंथ विभिन्न भाषाओं मे एवं प्राचीन पुस्तकों का संग्रह है। 121 साल से ज्यादा पुराने प्राचीन सिक्के और ऐतिहासिक चित्र, सचित्र जैन रामायण और सचित्र भक्तामर जैसी बहुमूल्य किताबें भी हैं। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व प्राकृत विभागाध्यक्ष और ओरिएंटल लाइब्रेरी के निदेशक डॉ. विश्वनाथ चौधरी ने कहा कि लंबे प्रयास के बाद इसे विशिष्ट लाइब्रेरी का दर्जा मिला। इससे शोधार्थियों और पाठकों को अधिक सुविधाएं मिलेंगी। यह लाइब्रेरी भोजपुर ही नहीं, पूरे भारत की पहचान बनेगी। इस कंप्यूटरीकृत करने की भी मांग की जा रही है।